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Taiwn-Chp maker
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Economist-11 May 21; Taiwan-Chipmakers Chipmakers’ craft can seem magical. They use light to stamp complex patterns on a dinner-plate-sized disc of crystal silicon, forming arrays of electric circuits. Once cut out of the disc, each array is called a chip. The chip’s job is to shuttle electrons in a mathematical shimmer prescribed by computer code. They do the maths which runs the digital world, from Twitter and TikTok to electronics in tanks. Without them, whole industries cannot function properly, as carmakers forced to pause production because of microprocessor shortages are discovering. The most important firm in this critical business is Taiwan Semiconductor Manufacturing Company (TSMC). It controls 84% of the market for chips with the smallest, most efficient circuits on which the products and services of the world’s biggest technology brands, from Apple in America to Alibaba in China, rely. As demand for the most sophisticated chips surges thanks to the expansion of ...
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चीन: पहले क़र्ज़ दो फिर क़ब्ज़ा कर लो डा SP Gaur भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी दुनिया पर चीन की 375 लाख करोड़ रु. की उधारी; 150 देशों को चीन ने जितना लोन दिया, उतना तो वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ ने नहीं दिया|DB ओरिजिनल,DB Original - Dainik Bhaskar हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के मुताबिक, चीन ने 150 देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर का लोन दिया, जबकि वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ ने 200 अरब डॉलर का दिया चीन ने दर्जन भर देशों को उनकी जीडीपी से 20% से ज्यादा कर्ज दिया; जिबुती इकलौता देश, जिस पर कुल कर्ज का 77% हिस्सा चीन का यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 2018 में 139 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया, ये आंकड़ा 2017 की तुलना में 4% ज्यादा महिंदा राजपक्षे। 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे और अब प्रधानमंत्री हैं। राजपक्षे को देश में तीन दशकों से जारी गृहयुद्ध को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है। लेकिन, राजपक्षे के ही दौर में श्रीलंका सबसे ज्यादा कर्ज के बोझ में दब गया।राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका की भारत से दूरी और चीन से नजदीकियां बढ़ीं। इन नजदीकियों का फायदा श्रीलंका ने कम औ...
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तवांग हमले के पीछे बहुत कुछ डॉ एसपी गौड़ भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी विशेषज्ञ तवांग हमले का सीधा संबंध चीन की आंतरिक परिस्थितियों से जोड़ रहे हैं। इस समय चीन की अर्थव्यवस्था अच्छी हालत में नहीं है। शी जिनपिंग के तीसरे टर्म के अनुमोदन के बावजूद जीरो कोविड नीति का जगह जगह विरोध हुआ है। कई बड़ी कंपनियों के चीन छोड़ने की पक्की खबर है, कोविड से विमानन सेक्टर ध्वस्त है। अत: चीनी राष्ट्रवाद को जगाने के लिए शी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के खिलाफ कुछ ना कुछ हरकत से स्कोप्स आता है भारत को उकसाता रहता है। यह भी कहना है कि चीनी नेतृत्व पर सुंतजू लिखित आर्ट ऑफ़ वॉर (युद्ध कौशल) गहरा प्रभाव है। ईसा से छठी शताब्दी पूर्व में जन्मे सुंतजू चीन के महान युद्धक रणनीतिज्ञ माने जाते हैं। चीन ने कई दशकों की शांति भंग करते हुए मई 2020 मे लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों को मारा, भारत ने तत्काल बदला ले लिया, परंतु रणभूमि सीमा के पश्चिमी फ्रंट पर रही। अब उसने सीमा के पूर्वी फ्रंट तवांग में हरकत की है। सुंतजू ने बिल्कुल यही लिखा है, "दुश्मन से पश्चिम में तैयारी करवाओ, वो ...
चिप्स पर चर्चा
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चिप्स पर चर्चा सेमीकंडक्टर चिप्स फ़ैब्रिकेशन: इंडिया कहां पर पहुंचा ! डॉ एसपी गौड़ भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी ताज्जुब होता है तेल आपूर्ति पर तो इतनी सियासत मगर तेल से भी कीमती और दुर्लभ चिप्स की सप्लाई पर कोई चर्चा नहीं, चाहे सामान्य समय हो या युद्ध काल। बड़े औद्योगिक देश तेल से ज्यादा चिप्स पर खर्च कर रहे हैं। चीन तेल का कुल डेढ़ गुना खर्च सेमीकंडक्टर चिप्स पर करता है जो उसके विशाल औद्योगिक हब की रीढ है। हमारा अपना चिप्स आयात 30 अरब डॉलर का है। वर्ष 2026 तक अपनी माँग 64 अरब डॉलर और सेमीकंडक्टर घटकों का उत्पादन 300 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है। हार्डवेयर सेक्टर के बढ़ते पिछड़ेपन से सरकार समझ गई है मात्र सॉफ्टवेयर विकास काफी नहीं। इलेक्ट्रॉनिक्स व डिजिटल हार्डवेयर भविष्य का आधार होगा। और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में उत्पादन हेतु सेमीकंडक्टर फेब्रिकेशन पहली आवश्यकता है कितनी ही मुश्किल और महंगी क्यों न पड़े। देसी विदेशी मांग को देखते हुए, देश को इलेक्ट्रॉनिक निर्माण हब बनाना ही होगा । परंतु इसके लिए प्रोडक्शन ...
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I have been writing on subjects relating to Indian geopolitics interests. Some of them do find place in the newspapers. Some were returned with the comment that please produce more readable subjects implying it beyond the taste of their common reader. The editors may have their view point. I strongly feel that hard work done on the articles ought not to go waste. So I bought this domain geopoliticsindia thru Go Daddy. My son Manas developed the website and created the link with the bloger.com. I propose to keep all the published and un published matter on this website. Some of them may not relate to geoolitics.